Why Bakhtiar Khilji destroy Nalanda University in hindi | बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय पर क्यों आक्रमण करवाया था

Why Bakhtiar Khilji destroy Nalanda University in hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं  बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय पर क्यों आक्रमण करवाया था

Why Bakhtiar Khilji destroy Nalanda University in hindi
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बख्तियार खिलजी का पूरा नाम इख्तियार उद्दीन मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी था प्राचीन समय से ही नालंदा विश्वविद्यालय का नाम दुनिया के कोने कोने में मशहूर था और यही वजह थी कि नालंदा विश्वविद्यालय में दुनिया भर से  लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे जैसे जापान, कोरिया, चीन, तिब्बत, और तुर्की नालंदा विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विश्व विख्यात केंद्र रहा था  नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालय में से एक है और आज भी नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष बिहार के नालंदा जिला में देखने को मिल जाएगा 


Why Bakhtiar Khilji destroy Nalanda University in hindi 

आखिर क्यों बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय पर आक्रमण किया था और उसके पुस्तकालयों को आग के हवाले किया ? 


बख्तियार खिलजी कुरूर सनकी दुष्ट और मूर्ख सेनापति था यह दुनिया का सबसे मूर्ख और एहसान फरामोश शख्स था बख्तियार खिलजी के लिए मूर्ख सनकी और कुरूर  शब्द का जितनी बार भी इस्तेमाल करें यह उसके लिए कम ही होगा नालंदा विश्वविद्यालय के जिस आचार्य ने उसकी बीमारी का उपचार किया था बस यही कारण नालंदा विश्वविद्यालय के तबाही का कारण बन गया Why Bakhtiar Khilji destroy Nalanda University in hindi नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय था इसे बख्तियार खिलजी ने आक्रमण कर नष्ट कर दिया






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बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को क्यों नष्ट किया था


ऐसे तो नालंदा विश्वविद्यालय पर 3 बार आक्रमण हुआ था किंतु तीसरा और आखिरी आक्रमण सबसे विनाशकारी आक्रमण था

1. पहला आक्रमण(455-467 ईसवी) स्कंद गुप्त के शासनकाल के दौरान मिहिरकुल के तहत ह्यून के कारण हुआ था इसके बाद स्कंदगुप्त के उत्तर अधिकारियों ने इसकी मरम्मत करवाई थी

2. दूसरा आक्रमण गोदास ने किया था सातवीं शताब्दी की शुरुआत में इस बार बौद्ध राजा हर्षवर्धन(606-648 ईसवी)  मै विश्वविद्यालय के मरम्मत करवाई थी

3. तीसरा सबसे विनाशकारी आक्रमण 1193 में तुर्क सेनापति  मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने किया था इस विनाशकारी आक्रमण के बाद नालंदा विश्वविद्यालय इन घटनाओं से कभी नहीं उभर सका बख्तियार खिलजी एक छोटी सी बात को लेकर के नालंदा विश्वविद्यालय पर आक्रमण कर दिया था

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एक समय की बात है बख्तियार खिलजी बहुत ही ज्यादा बीमार पड़ गया था और वह उस बीमारी से बहुत ही लंबे समय तक ग्रसित रहा उसके हकीमा ने उसका काफी उपचार किया  किंतु इसका कोई भी फायदा बख्तियार खिलजी की सेहत पर नहीं हो रहा था बख्तियार खिलजी इतना बीमार पड़ गया था कि वह अब मरने की स्थिति में भी आ गया था तब बख्तियार खिलजी को किसी ने नालंदा विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग के प्रमुख आचार्य राहुल श्री भद्र जी से उपचार कराने की सलाह दी

लेकिन बख्तियार खिलजी को अपने हकीमो पर ज्यादा भरोसा था और उसे लगता था कि भारतीय वैध का ज्ञान उनके हकीमो से ज्यादा श्रेष्ठ नहीं है और इसी वजह से उसने भारतीय वैध से अपना इलाज करवाना उचित नहीं समझा


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nalanda vishwavidyalaya ki sthapna kisne ki thi|नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास


लेकिन जब बख्तियार खिलजी मरने की स्थिति में आया तब उसने नालंदा विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग के प्रमुख आचार्य राहुल श्री भद्र जी से अपना उपचार कराना शुरू किया बख्तियार खिलजी के उपचार शुरू होने से पहले ही बख्तियार खिलजी ने आचार्य राहुल श्रीभद्र जी के सामने यह शर्त रखी कि आप मेरा उपचार करें किंतु आपके द्वारा दी गई किसी भी तरह के भारतीय दवाई का सेवन नहीं करूंगा और अगर मैं आपके उपचार से ठीक नहीं हुआ तो फिर मैं आपको जान से भी मार दूंगा आचार्य राहुल श्रीभद्र जी ने बहुत सोच समझ कर इस शर्त को मान लिया कुछ दिन बाद आचार्य राहुल श्री भद्र जी खिलजी के पास एक कुरान लेकर पहुंचे और वह बख्तियार खिलजी से बोले कि आप इस कुरान के इतने पन्ने रोजाना पढ़िए और आप अपने आप ही ठीक हो जाएंगे जरा सल नालंदा विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध आचार्य राहुल श्रीभद्र जी ने कुरान के कुछ पन्नों पर एक प्रकार का दावा का लेप लगा दिया था और खिलजी जब उन पन्नों को पढ़कर अपनी उंगलियों पर थूक लगाकर पलटता तो इस प्रक्रिया के कारण पन्ने पर लगा दवा बख्तियार खिलजी के शरीर में प्रवेश करता और इस प्रक्रिया के कारण बख्तियार खिलजी कुछ ही दिनों में पूर्ण रूप से ठीक हो गया

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लेकिन जैसे ही बख्तियार खिलजी ठीक हुआ उसके मन में नालंदा विश्वविद्यालय के प्रमुख आचार्य राहुल श्री भद्र जी के प्रति ईर्ष्या उत्पन्न हो गया और वह इस बात को सहन नहीं कर पाया कि उनके हकीमो से ज्यादा श्रेष्ठ नालंदा विश्वविद्यालय के आचार्य हैं और इसी जलन के कारण उसने यह तय कर लिया कि नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान के इस गढ़ को ही नेस्तनाबूद कर देगा नालंदा विश्वविद्यालय के आयुर्वेद के प्रमुख वेद राहुल श्रीभद्र जी से जलन के कारण बख्तियार खिलजी ने यह तय कर लिया की वाह नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी को आग के हवाले कर देगा और फिर 1 दिन बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय पर आक्रमण कर दिया और बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय के हजारों धार्मिक नेताओं और बौद्ध भिक्षुओ के साथ-साथ वहां शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों की भी हत्या करवा दी

और उसने नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों को भी आग के हवाले कर दिया कहां जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में इतनी पुस्तके थी कि वह 3 महीने तक लगातार जलते रही थी और खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को भी नेस्तनाबूद कर दिया था


ऐसा कहा जाता है की बख्तियार खिलजी ने ईर्ष्या और जलन के कारण ही विश्व विख्यात नालंदा विश्वविद्यालय को नेस्तनाबूद कर दिया था बख्तियार खिलजी के जलन का एक कारण यह भी माना जाता है कि उनके हकीमो से ज्यादा बुद्धिमान और श्रेष्ठ भारतीय वेद कैसे हो सकते हैं इसीलिए बख्तियार खिलजी  ने नालंदा विश्वविद्यालय पर आक्रमण कर उसको नेस्तनाबूद कर दिया था दोस्तों इस बात से आप यह अनुमान लगा सकते हैं   कि बख्तियार खिलजी कितना बड़ा एहसान फरामोश मूर्ख शख्स हुआ करता था



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